आयुर्वेद में *शहद* को अमृत के समान माना गया है और मेडिकल साइंस भी शहद को सर्वोत्तम पौष्टिक और एंटीबायोटिक भंडार मानती हैं लेकिन आश्चर्य इस बात का हैं कि शहद की एक बूंद भी अगर कुत्ता चाट लें तो वह मर जाता है यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह *शहद कुत्ते के लिये जहर है* !!
*दूसरा देशी घी शुद्ध देशी गाय का घी* को आयुर्वेद अमृत मानता हैं और मेडिकल साइंस भी इसे औषधीय गुणों का भंडार कहता हैं पर आश्चर्य ये हैं कि मक्खी घी नहीं खा सकती *अगर गलती से देशी घी पर मक्खी बैठ भी जायें तो अगले पल वह मर जाती है*। इस अमृत समान घी को चखना भी मक्खी के भाग्य में नहीं होता।
*मिश्री* इसे भी अमृत के समान मीठा माना गया है आयुर्वेद में हाथ से बनी मिश्री को श्रेष्ठ मिष्ठान्न बताया गया है और मेडिकल साइंस हाथ से बनी मिश्री को सर्वोत्तम एंटबायोटिक मानता है लेकिन आश्चर्य हैं कि अगर खर (गधे) को एक डली मिश्री खिला दी जाए तो कुछ समय पश्चात ही उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।
*ये अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान मिश्री गधा नहीं खा सकता है* !!
नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई *निम्बोली* में सब रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं और आयुर्वेद उसे सर्वोत्तम औषधि ही कहता है मेडिकल साइंस भी नीम के बारे में क्या राय रखता है, आप जानते होंगे? लेकिन आश्चर्य ये है कि रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला *कौंवा* अगर गलती से निम्बोली को चख भी लें तो उसका गला खराब हो जाता है *और अगर निम्बोली खाले तो कौंवे की मृत्यु निश्चित है*...!!
इस धरती पर ऐसा बहुत कुछ है जो अमृत समान हैं, *अमृत तुल्य है* औषधीय है .. पर इस धरती पर कुछ ऐसे जीव भी है जिनके भाग्य में वह अमृत भी नहीं है ...!!
*मोदी जी "भारत" के लिये अमृत समान ही हैं*
पर भारत के *मक्खी, कुत्ते, कौंवे, गधे और मीडिया के कीड़ों* आदि को अमृत समान औषधि की महत्ता समझाने में अपना समय नष्ट न कीजिये, इनके भाग्य में वो अमृत ही नहीं है .. ये जीवन भर गंदगी में ही सांस लिये हैं।
*इसलिये उसे ही अपना सर्वश्रेष्ठ प्रारब्ध समझतें हैं ...!!*
मोदी जी हमारे देश भारत के लिए *राजनीतिक औषधि हैं*।
क्योंकि वो मेरे भारत को खोखला और बीमार करने वालों से मुक्त करा *भारत को विश्व गुरु बनाकर, सामरिक शक्ति सिद्ध कर भारतीयों का मस्तक गर्व से ऊंचा करने में रात दिन लगे हैं*।
भारत के इन कुत्ते, गधे, मक्खी जैसों को समझ में नहीं आ रहा ये तो एकजुट होकर अमृत को विष सिद्ध करने में जी जान से लगे हैं ... *देश को विश्व पटल पर पहले जैसा दीन-हीन अशिक्षित, सम्मानविहीन, दरिद्र बनाने के अनेकों प्रयास में लगे है।*
*आप अपने आपको किस श्रेणी में रखते हैं ये आपके अपने ऊपर निर्भर है, इसलिए आने वाली पीढ़ियों के लिए हिन्दू समाज के लिए कुछ तो अच्छा करो।*
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