Sunday, March 31, 2019

ज्योतिष शास्त्र में राहु के अन्य ग्रहों से युति के सामान्य फल

सूर्य एवं राहु
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सूर्य और राहु दो ऐसे ग्रह हैं जो जो एक दूसरे से विपरीत होते हुये भी अनेक प्रकार से समान भी है। दोनों ही ग्रह विग्रहकारी क्रूर ग्रह, दार्शनिकता और राजनीति के कारक भी हैं।

कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति को सामान्यतः शुभ नहीं कहा जा सकता। सूर्य और राहु की युति ग्रहण योग का निर्माण करती है।कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है, उस भाव से संबंधित शुभ फलों में न्यूनता देता है। ऐसा जातक जिसकी कुंडली में सूर्य+राहु की युति हो वह सफल राजनेता भी होता है। मुख्यतया यह योग यदि नवम, दशम एवं एकादश भावों में हो तो राजनीति कारक भी होता है क्योंकि ये दोनों ग्रह राजनीति, प्रभुत्व एवं सत्ता के कारक ग्रह भी हैं। अतः जब कभी कुंडली में स्थित इन ग्रहों का संबंध गोचर में लाभ भाव अर्थात एकादश भाव में बनेगा तो राजनीति में सफलता देकर जातक का वर्चस्व स्थापित करेगा।

चंद्र एवं राहु
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दो विपरीत ग्रह, एक दूसरे के शत्रु ग्रह किंतु अनेक प्रकार से समान भी हैं। दोनों ही धन तथा यात्रा के कारक ग्रह हैं। इन दोनों ग्रहों की युति यदि कुंडली के 3, 7 भावों में हो तो ऐसे जातक को अधिकाधिक यात्राएं करनी पड़ती हैं। नवम भाव में यही युति धार्मिक यात्रा का कारण भी बनती है। सप्तम भाव में व्यापार से संबंधित यात्राएं, लग्न में चंद्र+राहु की स्थिति स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होती है। दोनों ही ग्रह त्वचा के कारक भी हैं अतः लग्नस्थ चंद्र$राहु ग्रहण योग का निर्माण कर त्वचा रोग तथा मानसिक बेचैनी का कारण बनता है। इन पर यदि बुध का दूषित प्रभाव हो तो परिणाम और भी घातक होते हैं।

चंद्रमा जल का कारक ग्रह है और राहु ‘शीशे’ का प्रतिनिधित्व करता है। परिणामतः उत्तम चंद्रमा वाले जातक का मन सदैव जल के समान निर्मल होता है। जब चंद्र + राहु पर गुरु की शुभ दृष्टि आ रही हो तो ऐसे जातक का जीवन के प्रति दृष्टिकोण सदैव शीशे की तरह पारदर्शी एवं निष्पक्ष होता है। एकादश भाव में यदि यह योग शुभ प्रभाव लेकर आ जाये तो अचानक धन लाभ भी देता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी होकर चंद्रमा राहु के साथ द्वादश भाव में युति बनाये तो यह योग विदेश यात्रा का कारक भी होता है।

मंगल एवं राहु
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मंगल और राहु दोनों एक दूसरे के शत्रु ग्रह- षड्यंत्र, झगड़े, विवाद, शत्रु एवं साहस, पराक्रम के भी कारक हैं। मंगल$राहु की युति कंुडली में अंगारक योग का निर्माण करती है। इस युति के फलस्वरूप जातक का व्यक्तित्व दुःसाहसी, अतिक्रोधी, कठोर, आवेगशील और षड्यंत्रकारी होता है।

लग्न में यही युति अति क्रोधी तथा अचानक दुर्घटना, द्वितीय भाव में भाइयों से मतभेद, तृतीय में पराक्रमी, चतुर्थ में माता एवं सुख के लिये अशुभ, पंचम में सफलता में कमी, क्षीण आयु, षष्ठ में शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में सफलता प्रदान करती है। पंचम भाव में मंगल+राहु सत्ता पक्ष से सफलता दिलाते हैं। सप्तम में जीवन साथी से मतभेद, अष्टम भाव में जीवनसाथी की आयु पर प्रश्नचिह्न लगाती है। नवम्, दशम तथा एकादश भावों में यह ग्रहयोग राजनीति में सफलता, वर्चस्व एवं प्रभुता संपन्न बनाता है।

द्वादश भाव में यदि मंगल कर्क राशि में होकर राहु के साथ युति बनाये तो ऐसे जातक का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता है। मंगल नीच राशि में अगर द्वादश भाव में राहु के साथ होगा तो ऐसा जातक अत्यंत आक्रामक, षड्यंत्रकारी एवं हत्या करने की प्रवृत्ति वाला होगा।

बुध एवं राहु
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बुध+राहु की युति ‘जड़त्व योग’ का निर्माण करती है। बुध ग्रह कोज्योतिषीय दृष्टि से बुद्धिमत्ता, तर्क, अभिव्यक्ति, भाषा ज्ञान, व्यापार इत्यादि का कारक माना जाता है। राहु-राजनीति, धोखा, छल-कपट, प्रपंच, फरेब, राजनीति, कलंक, विदेशी भाषा, विदेशी लोग तथा मानसिक रोगों का भी कारक है।

लग्न तथा षष्ठ भाव में दोनों की युति त्वचा रोग, मिर्गी अथवा लाइलाज बीमारी, जड़ बुद्धि, अस्थिरता (2, 11 में), चतुर्थ तथा पंचम में शिक्षा में विघ्न तथा धन भाव एवं लाभ भाव में अनावश्यक खर्च इत्यादि देते हैं। तृतीय भाव में संबंधियों से, सप्तम अष्टम भाव में जीवन साथी से विरोध, नवम भाव में यही युति नास्तिक बनाती है। दशम भाव में अपने निर्णयों के द्वारा ही व्यवसाय में हानि तथा द्वादश भाव में दान, यज्ञ, पूजा में अविश्वास तथा शैया सुख में कमी करती है। ‘जड़त्व योग’ जातक को चालाक, धूर्त, कपटी एवं धर्म के विरूद्ध आचरण करने वाला बनाता है। यदि इस युति पर गुरु का शुभ प्रभाव हो तो जातक अनेक भाषाओं का ज्ञाता अथवा चालाकी से अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाला होता है।

गुरु एवं राहु
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गुरु+राहु की युति चांडाल योग का निर्माण करती है। जिस जातक की कुंडली में दोनों ग्रहों की युति होती है, वह परंपरा विरोधी और आध्यात्मिकता में रूचि न रखने वाला होता है। ऐसी स्थिति में राहु गुरु के सात्विक और शुभ गुणों को कम कर देता है।

जिस जातक की कुंडली में लग्न में गुरु राहु की युति होती है वह नास्तिक, पाखंडी तथा धार्मिकता में रूचि न रखने वाला होता है। धन भाव में यह योग दरिद्रता का सूचक माना जाता है। किंतु यही युति यदि पंचम, नवम अथवा केंद्र भावों में हो तो ऐसा जातक ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता होता है। तृतीय, सप्तम में धार्मिक यात्राएं तथा दशम, एकादश भाव में राजनीति में सफलता मिलती है। ऐसी स्थिति में यदि राहु गुरु के नक्षत्र में भी हो तो ऐसा जातक सफल राजनेता हो सकता है। एकादश तथा द्वादश भावों में यदि यह युति है तो ऐसा जातक तंत्र साधना अथवा तांत्रिक कार्यों के द्वारा भी धनार्जन करता है।

शुक्र एवं राहु
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राहु के साथ यदि शुक्र लग्न में है तो ‘क्रोध योग’ का निर्माण होता है। यह योग जातक को क्रोधी स्वभाव का स्वामी बनाकर आजीवन लड़ाई-झगड़े एवं विवाद का कारण बनता है, जिसके फलस्वरूप जातक को अपने कटु स्वभाव के कारण अपने जीवन में अनेकानेक नुकसान उठाने पड़ते हैं।

शुक्र और राहु एक दूसरे के परम मित्र ग्रह हैं। शुक्र प्रेम, विवाह, सौंदर्य, घुंघराले बाल एवं श्याम वर्ण इत्यादि का कारक ग्रह है।

राहु भी गुप्त संबंधों एवं प्रेम संबंधों का कारक है। व्यक्ति को श्याम वर्ण ही देता है। कुंडली में दोनों ग्रहों की युति जातक को विपरीत लिंग के प्रति स्वाभाविक आकर्षण प्रदान करती है। यदि शुक्र राहु की युति पति पत्नी दोनों की कुंडली में सप्तम भाव में है तो वैवाहिक जीवन में कष्ट एवं संबंध विच्छेद का कारण भी बनती है। ऐसे जातक के अन्यत्र संबंध अवश्य ही बनते हैं।

शनि एवं राहु
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शनि के साथ राहु की युति को ज्योतिष में ‘नन्दी योग’ के नाम से जाना जाता है। यह युति जिस भाव में बनती है उस भाव से संबंधित कष्ट एवं जिस भाव पर दृष्टि डालती है उससे संबंधित शुभ फल प्रदान करती है। इस योग के फलस्वरूप जातक को सुख, वैभव एवं समृद्धि भी प्राप्त होती है।

शनि राहु की युति पर यदि मंगल का प्रभाव भी आ जाये तो ऐसा जातक साधारणतया क्रूर एवं आतंकवादी प्रवृत्ति का होता है।

यह युति यदि लग्न में आ जाये तो ऐसा जातक हत्या या आत्महत्या का प्रयास भी कर सकता है। लग्न में शनि+राहु के फलस्वरूप क्षीण स्वास्थ्य, द्वितीय भाव में धनाभाव, तृतीय भाव में संबंधियों से विरोध, चतुर्थ में माता के लिये अशुभ, पंचम में सफलता में कमी, षष्ठ भाव में रोग, सप्तम में जीवन साथी से वैमनस्य, अष्टम में पैतृक संपत्ति प्राप्त करने में अड़चन, नवम में निर्बल भाग्य, दशम में व्यवसाय में परेशानी, एकादश में लाभ कम तथा द्वादश भाव में भी वैवाहिक सुख में कमी होती है।

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पंचमहापुरुष योग


चार ग्रह जो की(सूर्य,चंद्र,राहु,केतु) पंचमहापुरुष योग नहीं बनाते

( पंचमहापुरुष योगों में नहीं आते )

और यह पांच ग्रह पंचमहापुरुष योग बनाते है-

मंगल- ( रुचक नामक पंचमहापुरुष योग )

बुध- ( भद्र नामक पंचमहापुरुष योग )

गुरु- ( हंस नामक पंचमहापुरुष योग )

शुक्र- ( मालव्य नामक पंचमहापुरुष योग )

शनि- ( सासा नामक पंचमहापुरुष योग )

१.मंगल देवता - अगर मंगल देवता लग्न कुंडली (जन्म कुंडली) में सम या योगकारक होकर केंद्र स्थान (१,४,७,१० भाव) में उच्च का(मकर राशि में) या स्वराशि(मेष,वृश्चिक)का पड़ा हो,बलि हो और डिग्री वाइज बलाबल अच्छा हो तो रुचक नामक पंचमहापुरुष योग बनता है।

२.बुध देवता - अगर बुध देवता लग्न कुंडली (जन्म कुंडली) में सम या योगकारक होकर केंद्र स्थान (१,४,७,१० भाव) में उच्च का(कन्या राशि में) या स्वराशि(मिथुन,कन्या)का पड़ा हो,बलि हो और डिग्री वाइज बलाबल अच्छा हो तो भद्र नामक पंचमहापुरुष योग बनता है।

३.गुरु देवता - अगर गुरु देवता लग्न कुंडली (जन्म कुंडली) में सम या योगकारक होकर केंद्र स्थान (१,४,७,१० भाव) में उच्च का(कर्क राशि में) या स्वराशि(धनु,मीन)का पड़ा हो,बलि हो और डिग्री वाइज बलाबल अच्छा हो तो हंसक नामक का पंचमहापुरुष योग बनता है।

४.शुक्र देवता - अगर शुक्र देवता लग्न कुंडली (जन्म कुंडली) में सम या योगकारक होकर केंद्र स्थान (१,४,७,१० भाव) में उच्च का(मीन राशि में) या स्वराशि(वृष,तुला)का पड़ा हो,बलि हो और डिग्री वाइज बलाबल अच्छा हो तो मालव्य नामक का पंचमहापुरुष योग बनता है।

५.शनि देवता -अगर शनि देवता लग्न कुंडली (जन्म कुंडली) में सम या योगकारक होकर केंद्र स्थान (१,४,७,१० भाव) में उच्च का(तुला राशि में) या स्वराशि(मकर,कुम्भ)का पड़ा हो,बलि हो और डिग्री वाइज बलाबल अच्छा हो तो सासा नामक का पंचमहापुरुष योग बनता है।

डिग्री° वाइज जरूर चेक करें। ग्रह का बलाबल जरूर देखें ।अगर ग्रह २९°,०°,२८° का या अस्त अवस्था में हो लग्न कुंडली में तो कोई योग नहीं बनेगा।

*पंचमहापुरुष योग का लाभ*

*1.रुचक नामक पंचमहापुरुष के लाभ*

१.आकर्षक व्यक्ति २.मेहनती
३.गठीला शरीर
४.आत्म विश्वास से भरपूर

*2.भद्र नामक पंचमहापुरुष के लाभ*

१.तेज़ यादाश्त
२.बातूनी
३.मित्रवत व्यहवार करने वाला ४.अच्छा व्यापारी

*3.हंस नामक पंचमहापुरुष के लाभ*

१.संतान सुख
२.मान यश
३.ज्ञानवान
४.धन का आभाव ना होना
५.भाग्यवान
६.धार्मिक
७.मार्ग दर्शक
८.अच्छी वाणी
९.परिवार सुख से परिपूर्ण १०.ईमानदार

*4.मालव्य नामक पंचमहापुरुष के लाभ*

१.सुख सुविधाओं से परिपूर्ण २.आकर्षक व्यक्ति
३.कला प्रेमी
४.सौंदर्य प्रेमी
५.धन कारक ग्रह
६.घूमने फिरने का शौकीन ७.शारीरक सुख
८.रोमांटिक
९.संगीत प्रेमी
१०.चित्र बनाने का शौकीन

*5.सासा नामक पंचमहापुरुष के लाभ*

१.न्याय प्रिय
२.धर्म प्रिय ३.निम्न स्तर कार्य करने से लाभ ४.वाहन का सुख
५.घर का सुख
६.पाताल की चीज़ों से लाभ
७.हक़ की कमाई खाने वाला ८.मेहनती

किसी के लिए अमृत किसी के लिए ज़हर

आयुर्वेद में *शहद* को अमृत के समान माना गया है और मेडिकल साइंस भी शहद को सर्वोत्तम पौष्टिक और एंटीबायोटिक भंडार मानती हैं लेकिन आश्चर्य इस बात का हैं कि शहद की एक बूंद भी अगर कुत्ता चाट लें तो वह मर जाता है यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह *शहद कुत्ते के लिये जहर है* !!

*दूसरा देशी घी शुद्ध देशी गाय का घी* को आयुर्वेद अमृत मानता हैं और मेडिकल साइंस भी इसे औषधीय गुणों का भंडार कहता हैं पर आश्चर्य ये हैं कि मक्खी घी नहीं खा सकती *अगर गलती से देशी घी पर मक्खी बैठ भी जायें तो अगले पल वह मर जाती है*। इस अमृत समान घी को चखना भी मक्खी के भाग्य में नहीं होता।

*मिश्री* इसे भी अमृत के समान मीठा माना गया है आयुर्वेद में हाथ से बनी मिश्री को श्रेष्ठ मिष्ठान्न बताया गया है और मेडिकल साइंस हाथ से बनी मिश्री को सर्वोत्तम एंटबायोटिक मानता है लेकिन आश्चर्य हैं कि अगर खर (गधे) को एक डली मिश्री खिला दी जाए तो कुछ समय पश्चात ही उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।

*ये अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान मिश्री गधा नहीं खा सकता है* !!

नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई *निम्बोली* में सब रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं और आयुर्वेद उसे सर्वोत्तम औषधि ही कहता है मेडिकल साइंस भी नीम के बारे में क्या राय रखता है, आप जानते होंगे? लेकिन आश्चर्य ये है कि रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला *कौंवा* अगर गलती से निम्बोली को चख भी लें तो उसका गला खराब हो जाता है *और अगर निम्बोली खाले तो कौंवे की मृत्यु निश्चित है*...!!

इस धरती पर ऐसा बहुत कुछ है जो अमृत समान हैं, *अमृत तुल्य है* औषधीय है .. पर इस धरती पर कुछ ऐसे जीव भी है जिनके भाग्य में वह अमृत भी नहीं है ...!!

*मोदी जी "भारत" के लिये अमृत समान ही हैं*    

पर भारत के *मक्खी, कुत्ते, कौंवे, गधे और मीडिया के कीड़ों* आदि को अमृत समान औषधि की महत्ता समझाने में अपना समय नष्ट न कीजिये, इनके भाग्य में वो अमृत ही नहीं है .. ये जीवन भर गंदगी में ही सांस लिये हैं।

*इसलिये उसे ही अपना सर्वश्रेष्ठ प्रारब्ध समझतें हैं ...!!*

मोदी जी हमारे देश भारत के लिए *राजनीतिक औषधि हैं*।

क्योंकि वो मेरे भारत को खोखला और बीमार करने वालों से मुक्त करा *भारत को विश्व गुरु बनाकर, सामरिक शक्ति सिद्ध कर भारतीयों का मस्तक गर्व से ऊंचा करने में रात दिन लगे हैं*।

भारत के इन कुत्ते, गधे, मक्खी जैसों को समझ में नहीं आ रहा ये तो एकजुट होकर अमृत को विष सिद्ध करने में जी जान से लगे हैं ... *देश को विश्व पटल पर पहले जैसा दीन-हीन अशिक्षित, सम्मानविहीन, दरिद्र बनाने के अनेकों प्रयास में लगे है।*

*आप अपने आपको किस श्रेणी में रखते हैं ये आपके अपने ऊपर निर्भर है, इसलिए आने वाली पीढ़ियों के लिए हिन्दू समाज के लिए कुछ तो अच्छा करो।*

तिल और ज्योतिष का संबंध

समुद्र शास्त्र वैदिक ज्योतिष की एक शाखा है जिसमें तिल के महत्व, शक्तियों और उनके प्रभावों के बारे में बताया गया है। इनका असर मनुष्य के व्यक्तित्व, स्वभाव और उनके भाग्योदय पर पड़ता है। हमारे शरीर में ये विभिन्न आकार और रंग रूप के होते हैं। समुद्र विज्ञान में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तिल के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव को बताया गया है। कहा जाता है कि शरीर पर तिल ग्रह की स्थिति और उनके प्रभावों को दर्शाता है।

तिल का स्वरूप

आकार के अनुसार

छोटा – कम प्रभावशाली

बड़ा – अति शुभ

लंबा – शुभ

रूप के अनुसार

त्रिकोणीय – मिश्रित परिणाम

टेढ़ा-मेढ़ा – शुभ परिणामकारी

गोल – शुभ

वर्गाकार – अंत तक अप्रत्याशित फल परंतु मुश्किलों को दूर करने वाला

रंग के अनुसार

यदि तिल लाल, हल्का भूरा, चंदन अथवा हरा पन्ना जैसे रंग का हो तो वह भाग्यशाली होता है।

काले रंग के तिल को अच्छा नहीं माना जाता है। इसका मतलब होता है कि जीवन में बाधाएं आएँगी।

शरीर पर तिल और उनका मतलब

माथे पर तिल

यदि किसी व्यक्ति के माथे के बीच में तिल हो तो वह व्यक्ति शांत, बुद्धिमान, परिश्रमी और दिल का साफ होता है।

यदि किसी के माथे में दाहिनी ओर तिल हो तो वह व्यक्ति धनवान होता है।

यदि माथे में बायीं ओर तिल हो तो वह व्यक्ति स्वार्थी होता है।

भौंह पर तिल

भौंह के बीच में तिल होने का मतलब होता है कि उस व्यक्ति के अंदर एक लीडर की विशेषता होगी। उसके जीवन में आर्थिक संपन्नता आएगी।

यदि भौंह पर बायीं ओर तिल हो तो व्यक्ति डरपोक होगा और बिज़नेस और नौकरी में उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

वहीं भौंह पर दाहिनी ओर तिल है तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में ख़ुशियाँ एवं संतान सुख प्राप्त होगा।

आँखों पर तिल

यदि किसी की दाहिनी आँख पर तिल का निशान हो तो वह व्यक्ति ईमानदार, मेहनती और विश्वास करने योग्य होता है।

बायीं आँख पर तिल का होना व्यक्ति के अंहकार और आशावादी सोच को दर्शाता है।

नाक पर तिल

ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की नाक पर (ठीक बीच पर) तिल होता है तो वह क्रोधी और बिना सोचे-समझे निर्णय लेने वाला होता है।

यदि किसी की नाक की दाहिनी तरफ तिल हो तो वह व्यक्ति कम मेहनत के बल पर अधिक धन पाने में कामयाब होता है।

यदि नाक की बायीं ओर तिल हो तो व्यक्ति को सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

यदि नाक के नीचे तिल हो तो व्यक्ति कामुक और विपरीत लिंग को आकर्षित करने वाला होगा।

गाल पर तिल

जिसके बायें गाल पर तिल हो तो वह व्यक्ति अल्पभाषी, अधिक गुस्से वाला और धन ख़र्च करने वाला होता है।

यदि किसी के दायें गाल पर तिल हो तो व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक होता है। इसके अलावा वह तर्कवादी और धन कमाने में अग्रणी होता है।

कान पर तिल

यदि किसी के कान पर तिल हो तो उसका जीवन भौतिक सुखों से युक्त होता है।

यदि कान के ठीक ऊपर तिल हो तो व्यक्ति बुद्धिमान होता है।

होंठ पर तिल

यदि किसी व्यक्ति के होंठ पर तिल होता है तो उन्हें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि उन्हें मोटापा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।

यदि आपके नीचे वाले होंठ पर तिल है तो आप फूडी नेचर के होंगे। इसके अलावा नाटक में आपकी विशेष रुचि होगी।

जीभ पर तिल

यदि किसी शख्स की जीभ पर तिल है तो उसे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं स्पीच संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

यदि किसी व्यक्ति की जीभ की नोक पर तिल हो तो वह व्यक्ति बहुत कूटनीतिज्ञ होता है। वह परिस्थितियों को काबू करने में सक्षम होता है। वह व्यक्ति अधिक फूडी भी होता है।

ठोड़ी पर तिल

यदि किसी की ठोड़ी के बीच पर तिल होता है तो उस व्यक्ति को यात्रा करना अच्छा लगता है। उसे नई-नई जगहों पर जाना पसंद होता है।

यदि किसी की ठोड़ी के दाहिने हिस्से में तिल हो तो वह व्यक्ति तर्कवादी और कूटनीतिक विचारों वाला होता है।

वहीं जिस व्यक्ति की ठोड़ी पर बायीं ओर तिल हो तो वह व्यक्ति ईमानदार और स्पष्टवादी होता है।

गर्दन पर तिल

यदि किसी व्यक्ति की गर्दन पर ठीक सामने तिल हो तो वह भाग्यशाली और कला से निपुण होता है।

वहीं गर्दन के पीछे वाले भाग पर तिल का होना व्यक्ति के क्रोधी को स्वभाव को दर्शाता है।

कंधे पर तिल

यदि किसी व्यक्ति के बायें कंधे पर तिल का निशान हो तो वह व्यक्ति ज़िद्दी स्वभाव का होता है।

यदि किसी व्यक्ति के दायें कंधे पर तिल का निशान हो तो वह साहसी और बुद्धिमान होता है।

भुजा पर तिल

यदि किसी व्यक्ति की दाहिनी भुजा में तिल हो तो वह बुद्धिमान और चालाक होता है।

बायीं भुजा में तिल का होना व्यक्ति की भौतिक सुखों की कामना को दर्शाता है लेकिन वास्तव में वह सामान्य जीवन जीता है।

कोहनी पर तिल

यदि किसी व्यक्ति की कोहनी पर तिल हो तो उसका मतलब होता है कि वह व्यक्ति बेचैन, कला में निपुण, धनी और ट्रैवल लवर होगा।

कलाई पर तिल

यदि किसी व्यक्ति की कलाई पर तिल होता है तो वह व्यक्ति कलात्मक होता है। उसके मन में नए-नए विचार आते हैं। ऐसे लोग अच्छे पेंटर और लेखक होते हैं।

हथेली पर तिल

यदि किसी की हथेली पर तिल का निशान हो तो उस व्यक्ति को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

उंगली पर तिल

ऐसा कहा जाता है कि जिसकी उंगलियों पर तिल का निशान होता है। वह व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता है। उसे चीज़ों को बढ़ा चढाकर कहने की आदत होती है।

पसलियों पर तिल

दाहिनी पसली पर तिल का निशान यह बताता है कि व्यक्ति झूठ बोलने में माहिर और कई चीज़ों से भयभीत होता है।

वहीं बायीं पसली पर तिल व्यक्ति के सामान्य जीवन को दर्शाता है।

पीठ पर तिल

पीठ पर रीढ़ की हड्डी के आसपास का तिल का होना सक्सेस, फेम और लीडरशिप को बताता है।

यदि किसी व्यक्ति के शोल्डर ब्लेड्स के नीचे तिल हो तो उस व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करना पड़ेगा।

यदि किसी व्यक्ति के शोल्डर ब्लेड्स के ऊपर तिल का निशान हो तो वह व्यक्ति साहस के साथ चुनौतियों का सामना करता है।

सीने पर तिल

जिस व्यक्ति के सीने पर तिल का निशान होता है उसकी कामुक प्रवृत्ति तीक्ष्ण होती है।

जिन महिलाओं के दाहिने सीने में तिल का निशान होता है तो उनके अंदर ड्रग्स और शराब के अलावा अन्य प्रकार का नशा करने की प्रवृत्ति पायी जाती है। वहीं यदि पुरुष के सीने में दाहिनी ओर तिल हो तो उसे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

जिन पुरुषों के सीने में बायीं ओर तिल का निशान होता है तो वे चतुर स्वभाव के होते हैं लेकिन दोस्तों और रिश्तेदारों से उनके संबंध अच्छे नहीं रहते हैं। वहीं महिलाओं के बायें सीने में तिल हो तो वे शांत स्वभाव की होती हैं और परिवार, रिश्तेदारों और सहकर्मियों से उनके अच्छे संबंध होते हैं।

नाभि पर तिल

जिन महिलाओं की नाभि में अथवा इसके अासपास तिल का निशान होता है तो ऐसी महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखी होता है।

किसी पुरुष के नाभि पर बायीं ओर तिल का निशान उसके समृद्ध जीवन को दर्शाता है। उसकी संतान को भी प्रसिद्धि मिलती है।

पेट पर तिल

पेट पर तिल का निशान किसी व्यक्ति को हमेशा जोशीला बनाए रखता है।

अगर किसी पुरुष के उदर पर दाहिनी ओर तिल हो वह उसके मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि को दिखाता है। वहीं महिलाओं के लिए यह कमज़ोरी को दर्शाता है।

यदि पेट पर दाहिनी ओर तिल हो तो आमदनी की सुगमता को दर्शाता है।

नितंब पर तिल

जिन लोगों के दोनों नितंब पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति ख़ुशमिजाज़, प्रिय और विश्वास योग्य होते हैं।

जिनके दायीं नितंब पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति क्रिएटिव और बुद्धिमान होते हैं।

जिन लोगों के बायें नितंब पर तिल होता है तो ऐसे लोग सामान्य आमदनी के बावजूद अपने जीवन से संतुष्ट दिखाई देते हैं।

गुप्तांग पर तिल

जिन लोगों के गुप्तांग पर तिल का निशान होता है ऐसे लोग खुले विचार वाले और ईमानदार होते हैं। इसके अलावा ऐसे लोग अधिक रोमांटिक होते हैं और उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। भौतिक सुखों के अभाव के बावजूद भी ये लोग संतुष्ट रहते हैं।

जांघ पर तिल

जिन लोगों की दायीं जंघा पर दिल का निशान हो तो ऐसे लोग मध्यम स्वभावी और निडर होते हैं।

बायीं जांघ पर तिल का निशान किसी व्यक्ति की कलात्मक क्षमता को दर्शाता है लेकिन ऐसे व्यक्ति आलसी और अधिक सामाजिक नहीं होते हैं।

घुटने पर तिल

यदि किसी व्यक्ति के बायें घुटने पर तिल का निशान हो तो ऐसे व्यक्ति साहसी और रिस्क लेने वाले होते हैं। ऐसे लोग एक राजा की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं।

जिन लोगों के दायें घुटने पर तिल होता है ऐसे लोगों का प्रेमजीवन कामयाब होता है। ऐसे लोग सभी से मित्र जैसा व्यवहार करते हैं।

पिण्डली पर तिल

दायीं पिंडली पर तिल का होना अच्छा माना जाता है। ऐसे लोग कामयाब और समृद्धिशाली होते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनीति में अधिक सक्रिय होते हैं और महिलाओं के द्वारा इन्हें अधिक सहयोग प्राप्त होता है।

बायीं पिण्डली पर तिल वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं। उन्हें काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ती है और उनके मित्रों की संख्या अधिक होती है।

टाँग पर तिल

जिन लोगों के टांग पर तिल होता है ऐसे व्यक्ति बिना सोचे समझें कार्य करते हैं। वे परिणाम की चिंता नहीं करते हैं। इसलिए ऐसे लोग अक्सर कंट्रोवर्सी में घिरे रहते हैं।

टखने पर तिल

यदि किसी के दायें टखने पर तिल होता है तो ऐसे व्यक्ति संभावित अनुमान लगाने वाले और अधिक बातूनी होते हैं। जबकि बायें टखने पर तिल के निशान वाले लोग अधिक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं।

पैर पर तिल

यदि किसी व्यक्ति के दायें पाँव पर तिल का निशान हो तो ऐसे लोगों को अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होता है और उनका पारिवारिक जीवन संतोषजनक रहता है।

अगर बायें पैर पर तिल हो तो व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और जीवनसाथी से भी उसके मतभेद रहते हैं।

यदि तलवे पर तिल हो तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, दुश्मनों से चुनौती आदि का सामना करना पड़ता है।

पैर की उंगलियों पर तिल

यदि किसी के पैर की उंगलियों पर तिल हो तो ऐसे व्यक्तियों का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं होता है।

हम आशा करते हैं कि इस लेख के माध्यम से आप तिल के महत्व और उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से जान गए होंगे।