भारत देश को एक मोदी क्या लाखों मोदी भी जी जान से जुट जाएं तो भी नही बचा सकते । कारण है हमारी मानसिकता । हाल ही में पाँच राज्यो कर चुनाव के समय मैं राजस्थान मे था ।कांग्रेस किसानों की कर्ज माफी का वायदा करके सत्ता में आ गयी । क्या कर्ज माफी से किसानों का भला हो जाएगा ? कमाल है ना , बैंको पर बोझ पड़ेगा जो बैंक कांग्रेस के राज में दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए थे ।सरकार उन्हें आर्थिक मदद देने की कोशिश कर रही है जिस से वो फिर से खड़े हो सके और कांग्रेस ने आते ही उन पर फिर बोझ लाद दिया । क्या कर्ज माफी के पैसे राज्य सरकार बैंको को देगी ? इसकी गुंजाइश ना के बराबर है । ये तो हुई पहली बात ।दूसरी बात , क्या कर्ज माफी से किसानों का भला होगा ? देश और राज्य का भला होगा ? आप वोट के लिए कर्ज माफ करते रहें ,वो लेता रहेगा ? तो आप उसे स्वाबलंबी होने की बजाय एक ऐसी आदत डाल रहे है जो पड़ने के बाद वो ज़िंदगी मे इज्ज़त से कुछ भी करने लायक नही बचेगा । मोदी जी कोशिश कर रहे है कि किसान स्वाबलम्बी हो
उसे किसी की मदद की ज़रूरत ही ना रहे । पर सत्ता की लालची पार्टियाँ लुभावनी गाजर दिखा कर लोगों को बरगलाने में कामयाब रही । अब जिस देश के लोग मेहनत करके खाना ही नही चाहते उस देश के लोगो का मोदी क्या भला कर सकते है । एक ऐसा प्रधानमंत्री जो 24 में से 18 घंटे काम करके लोगों के सामने मिसाल देता है और लोग उस मिसाल को समझने के बजाय मुफ्तखोरी की गाजर दिखाने वाले लोगों के साथ हो लेते है । ये सोचे बगैर की तुम्हारा कर्ज़ माफ करने के लिए वो पैसे तुमसे ही लेंगे उनके घर मे नोट नही छपते । सरकार के पास सिटी में चलाई जा रही बसों के कंडक्टर और ड्राइवर को तनख्वाह देने के पैसे नही है 4 महीनों से बकाया है । तक़रीबन 500 लोगो के लिए जगह खाली है 1 साल से उसकी भर्ती करने का बजट है ।कंडक्टरों की बजाय एजेंट भर्ती कर रखे है उनकी भी तनख्वाह 8 महीनों से नही दी और 30- 40 हज़ार करोड़ के कर्ज माफ करने का ऐलान कर दिया ।एक तरफ मुख्यमंत्री कहते है खज़ाना खाली है और दूसरी तरफ 40 हज़ार करोड़ का भार उठा रहे रहे है खुशी खुशी । समझ से परे है । अब भी समझ जाईये पिछले 5 सालों में मोदी सरकार से विदेशी कर्ज के लाखों करोड़ चुकाएँ हैं । ये दुबारा आ गए तो अबकी बार मोदी जी भी नही बचा पाएंगे । भविष्य में मोदी जैसा प्रधानमंत्री दुबारा मिले इसकी संभावना कम ही है । ये तो बर्बाद करके अपना फायदा करके निकल जाएंगे भुगतना आपको और आने वाली पीढ़ी को है । शिवोहम।
Friday, December 21, 2018
सस्ती लोकप्रियता, लुभावने वादे, गड्ढ़े में गिरता देश ।
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