Saturday, January 26, 2019

उरी फ़िल्म से कही ज्यादा है

मैंने उरी फ़िल्म को थोड़ा देर से देखा पर देखने के बाद लगा कि अगर ना देखता तो सिनेमा के इस अदभुत प्रयोग का साक्षी होने से वंचित रह जाता । देखने के बाद इसके बारे में लिखने से स्वयं को नही रोक पाया । फ़िल्म के ज़रिए निर्माता निर्देशक ने भारतीय सेना के जज़्बे का सही चित्रण करके ना केवल सेना का मनोबल बढ़ाया है बल्कि विपक्ष में बैठे राजनितिज्ञों द्वारा सेना का मनोबल गिराने भरसक प्रयास किया गया था उसे बढ़ाने का काम भी किया हैं। हिंदुस्तान में समय समय पर ऐसी फिल्में बनानी चाहिये।क्यों कि वर्तमान में राजनीति इतनी गन्दी हो गई हैं कि लोग मात्र अपने स्वार्थ के लिये जनहित,देशहित,समाज हित कुछ नही देखते ।अनर्गल आरोप प्रत्यारोप मढ़ते रहना और लोगों को आक्रोशित करके, दंगे करवा के , उपद्रव करवाके सत्ता में आने के ध्येय के लिए करते है । उरी का हर एक किरदार प्रसंशनीय है चाहे वो पर्दे के आगे हो या फिर पीछे । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक दृढ़ता गौरवान्वित करती है ।उन्हें चुने जाने पर फक्र होता है। यहाँ तक उनका किरदार निभाने वाले रजित कपूर ने भी जिस सटीकता से उनका किरदार निभाया है वो प्रसंसनीय है । एडिटिंग, सिनेमाटोग्राफी, डायरेक्शन , अभिनय , लेखन, फाइट्स सब उल्लेखनीय है । संगीत पक्ष में और बेहतर करने की गुंजाइश थी ।

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